Thursday, April 22, 2010

�राजपुरोहित� अर्थात राज्य का पुरोहित। राजपुरोहित हिन्दु ब्राह्मण समाज कि एक शाखा है। पौराणिक काल मै राजपुरोहितो को धरा पर ब्रह्म सत्ता का अंश माना जाता था। यह मान्यता थी कि राजपुरोहित राज्य के लिये जो निर्णय लेते है उनमें ब्रह्म शक्ति का बल होता है, अत: राजपुरोहितो के निर्णय पर राजा सदैव नत-मस्तक करते थे।
राजा के दैवीय सलाहकार होने के कारण राजा इन ब्राह्मणो को विशेषणो से आभुषित करते थे। राजपुरोहित उनहि अलंकारो मे से एक अलंकार है। गुरु द्रोणाचार्य राजपुरोहित ब्राह्मण थे। नीति-शास्त्र और शक्ति-प्रयोग राजपुरोहित के वर्चस्व क्षेत्र थे, है और सदैव रहेंगे।

प्रत्येक राजपुरोहित अपने आप मै एक शक्तिशाला है। प्रत्येक राजपुरोहित नीति का पर्याय है।

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